New Shayari Images On Khwaab
मेरे आँखों के ख्वाब दिल के अरमान हो तुम
तुम से ही तो मैं हूँ मेरी पहचान हो तुम
मैं ज़मीन हूँ अगर तो मेरे आसमान हो तुम
सच मानो मेरे लिए तो सारा जहां हो तुम
दिल की हर यादो में मै सवारूँ तुझे
तू दिखे तो इन आँखो में उतारू तुझे
तेरे नाम को जुबा पर ऐसे सजाऊ
सो जाऊ तो ख्वाबो मे बस पुकारू तुझे
दिल के सागर में लहरें उठाया ना करो
ख्वाब बनकर नींद चुराया ना करो
बहुत चोट लगती है मेरे दिल को
तुम ख्वाबो में आ कर यूँ तड़पाया ना करो
फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने
उसने माँगा जो वो सब दे दिया मैंने
वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने
रात की गहराई आँखों में उतर आई
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई
कितना अधूरा लगता है तब
जब बादल हो पर बारिश ना हो
जब जिंदगी हो पर प्यार ना हो
जब आँखे हो पर ख्वाब ना हो
और जब कोई अपना हो पर साथ ना हो
किताबों के पन्नो को पलट के सोचता हूँ
यूँ पलट जाए मेरी ज़िंदगी तो क्या बात है
ख्वाबों मे रोज मिलता है जो
हक़ीकत में आ जाए तो क्या बात है
Khwaab Shayari
डरते है आग से कही जल न जाये
डरते है ख्वाब से कहीं टूट न जाये
लेकिन सबसे ज़्यादा डरते है आपसे
कहीं आप हमे भूल न जाये
काश उनकी आँखों में भी मेरे लिए ख्वाब होगा
उनके दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा
यही सोच के गुजारता हु अपनी हर राते
शायद कभी उन्हें भी हमारा इंतज़ार होगा
दिल की धड़कन को धड़का गया कोई
मेरे ख्वाबों को जगा गया कोई
हम तो अनजाने रास्तो पे यूं ही चल रहे थे
अचानक ही प्यार का मतलब भी सीखा गया कोई
राजे दिल सब बताना चाहता हूँ
एक ग़ज़ल तुझ पर सुनाना चाहता हूँ
रात देखे ख्वाब जो तुम संग मैंने
ख्वाब वो सब मैं सुनाना चाहता हूँ
ताबीर जो मिल जाती तो एक ख्वाब बहुत था
जो शख्स गँवा बैठे है नायाब बहुत था
मै कैसे बचा लेता भला कश्ती-ए-दिल को
दरिया-ए-मुहब्बत मे सैलाब बहुत था
देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए
दूर तक निगाहों में हैं गुल खिले हुए
ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हो दरमियान तो फासले हुए
Khwaab Shayari In Hindi
मेरा हर ख्वाब आज हकीकत बन जाये
जो हो बस तुम्हारे साथ ऐसी जिन्दगी बन जाये
हम लाये लाखो में एक गुलाब तुम्हारे लिए
और ये गुलाब मोहब्बत की शुरुआत बन जाये
हर घड़ी तेरा दीदार किया करते हैं
हर ख्वाब में तुझसे इज़हार किया करते हैं
दीवाने हैं तेरे हम यह इक़रार करते हैं
जो हर वक़्त तुझसे मिलने की दुआ किया करते हैं
एक मुस्कान तू मुझे एक बार दे दे
ख्वाब में ही सही एक दीदार दे दे
बस एक बार कर दे तू आने का वादा
फिर उम्र भर का चाहे इन्तजार दे दे
न जाने सालों बाद कैसा समां होगा
हम सब दोस्तों में से कौन कहा होगा
फिर अगर मिलना होगा तो मिलेंगे ख्वाबों मे
जैसे सूखे गुलाब मिलते है किताबों मे
जिसे पाया ना जा सके वो जनाब हो तुम
मेरी जिंदगी का पहला ख्वाब हो तुम
लोग चाहे कुछ भी कहे लेकिन मेरी ज़िन्दगी का
एक सुन्दर सा गुलाब हो तुम
Khwaab Shayari 2 Line
ख्याल ख्वाबख्वाहिशे है तुझसे सब
हर वक्त तुझे याद करने का बहाना सब
न नींद आयी न ख़्वाब आये
जवाबो में भी कुछ सवाल आये
न सिर्फ़ आब इन आँखों में ख़्वाब रखता हूँ
मैं वो बादल हूँ जो सीने में आग़ रखता हूँ
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
जो ख्वाबों में चले आते तुम्हारा क्या बिगड़ जाता
तेरा पर्दा बना रहतामुझे दीदार हो जाता
कभी तुम्हरी याद आती है तो कभी तुम्हारे ख्व़ाब आते है
मुझे सताने के सलीके तो तुम्हें बेहिसाब आते है
ख़्वाब का रिश्ता हक़ीक़त से न जोड़ा जाए
आईना है इसे पत्थर से न तोड़ा जाए
वो जो मुमकिन न हो मुमकिन ये बना देता है
ख़्वाब दरिया के किनारों को मिला देता है
प्यार का ज़ज़्बा भी क्या क्या ख्वाब दिखा देता है
अजनबी चेहरों को महबूब बना देता है
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है
Shayari On Khwaab Do Line
एक ख्वाब ने आँखे खोली हैं क्या मोड़ आया है कहानी में
वो भीग रही थी बारिश में और आग लगी है पानी में
उठो ये मंज़र ए शब ताब देखने के लिए
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखना के लिए
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है
ये ख्वाब झूठे हैं और ये ख्वाहिशें अधूरी हैं
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां भी जरूरी है
कल रात भर मैं ख्वाब में उसके आगोश में रहा
ख्वाब ही सही मगर कुछ पल तो मैं उसका रहा
तेरी आँखों में कई ख़्वाब छोड़ आए हैं
हर इक सवाल का जवाब छोड़ आए हैं
ख़्वाब वैसे तो इक इनायत है
आँख खुल जाए तो मुसीबत है
ये तो अच्छा है कि मेरे हर ख़्वाब पूरे नहीं होते
वरना मेरे दोस्त किस-किस को भाभी जी कहकर बुलाते
अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए
तेरी सहर हो मेरा आफ़ताब हो जाए
तरसेगा जब दिल तुम्हारा मेरी मुलाकात को
तब आ जायेंगे ख्वाबों मे हम उसी रात को
ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ
काश तुझ को भी इक झलक देखूँ
ख़्वाब आँखों से गए नींद रातों से गई
वो गया तो ऐसे लगा ज़िंदगी हाँथो से गई
एक हल्की सी झलक क्या मिली बेचैन नज़रों को
हज़ारों ख़्वाब दिल ने देख डाले चंद लम्हों में
जिनकी पलकों पे तेरे ख़्वाब हुआ करते हैं
ज़िंदगी में वही बेताब हुआ करते हैं
तुझे ख्वाबो में पा कर दिल का करार खो ही जाता है
मैं जितना रोकूँ खुद को तुझसे प्यार हो ही जाता है
Best Khawab Quotes
आज मैंने हसीन ख़्वाब देखा
खुद को मुस्कुराते हुए आपके साथ देखा
तरसती निगाहों ने देखा है
कल फिर ख्वाब तेरे आने का
ख्वाब दुःख देने लगे थे
मैंने सोना ही छोड़ दिया
हसरतें पूरी न हो तो न सहीपर
ख्वाब देखना कोई गुनाह तो नहीं
मुद्दते लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर
तैयार हुआ तो मौसम ही बदल चूका था
एक तो सुकून और एक तुम
कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नहीं
ख्वाब मनुष्य को जीने नहीं देता और
मनुष्य ख्वाब को कभी मरने नहीं देता
सिर्फ ख्वाब होते तो क्या बात होती
आप तो खवाहिश बन बैठे वो भी बेइंतहा
दिल ने आज फिर तेरे दीदार का ख़्वाब देखा है
अगर फुर्सत मिले तो ख्वाबों में चले आना
सोने की जगह रोज़ बदलता हूँ मैं लेकिन
एक ख्वाब किसी तरह बदलता ही नहीं है
कल कहीं ख्वाब हकीकत में बदल जायेंगे
आज जो ख्वाब फ़क़त ख्वाब नजर आते हैं
तुम्हारी याद में आँखों का रतजगा है
कोई ख़्वाब नया आए तो कैसे आए
अभी वो आँख भी सोई नहीं है
अभी वो ख़्वाब भी जागा हुआ है
दिल मे घर करके बैठे है ये जो ज़िद्दी से ख़्वाब
कागज पे उतार मै वो सारे मेहमान ले आऊँ
सज़ा ये है कि नींदें छीन ली दोनों की आँखों से
खता ये है कि हम दोनों ने मिलकर ख्वाब देखा था
ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये
ख़्वाब में भी तो नज़र भर के न देखा उनको
ये भी आदाब-ए-मोहब्बत को गवारा न हुआ
टूट कर रूह में शीशों की तरह चुभते हैं
फिर भी हर आदमी ख़्वाबों का तमन्नाई है
ज़ीना मुहाल कर रखा है मेरी इन आँखों ने
खुली हो तो तलाश तेरी बंद हो तो ख्वाब तेरे
दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है
अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों मे आ जाना
हम नींद से उठकर इधर-उधर ढूंढते हैं तुझे
क्यों ख्वाबों में मेरे इतने करीब चले आते हो तुम
ख्वाब सा था साथ तुम्हारा
ख्वाब बन के रह गया
मेरे ख्वाबो को अब बिखरने न देना
बहुत प्यार से थामा है तेरे हाथो को अपने हाथों में
हर एक आँख को कुछ टूटे ख़्वाब दे के गया
वो ज़िन्दगी को ये कैसा अज़ाब दे के गया
अब तो इन आँखों से भी जलन होती है मुझे
खुली हों तो तलाश तेरी बंद हों तो ख्वाब तेरे
तलब करें तो ये आँखें भी उनको दे दूँ मैं
मगर ये लोग इन आँखों के ख़्वाब मांगते हैं
मुद्दत हो गयी ख्वाब में भी नहीं आया ख्याल नींद का
हैरत में हैं दिल मुझे किसका हैं इंतज़ार
लो अब आवाज दी जाये नींद को
कुछ थके थके से लग रहे हैं ख्वाब मेरे
आँखों में जो भर लोगे तो काँटों से चुभेंगे
ये ख़्वाब तो पलकों पे सजाने के लिए हैं
मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख्यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ
सहर ख़्वाब में तुम फ़िर आये थे
सरहाने पे फ़िर आज ओस की बून्दें हैं
खुदा का शुक्र है कि उसने ख्वाब बना दिये
वरना तुम्हें देखने की हसरत रह ही जाती
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर
जिस तरह ख़्वाब मेरे हो गए रेज़ा रेज़ा
इस तरह से न कभी टूट के बिखरे कोई
आज दिल ने तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है
मिले अगर फुरसत तो ख्वाबों मे आ जाना
ख़्वाब की ताबीर पर इसरार है जिनको अभी
पहले उनको ख़्वाब से बेदार होना चाहिए
रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने
अपनी आँखों को तेरे ख्वाब का लालच देकर
मुझे मौत से डरा मत कई बार मर चुका हूँ
किसी मौत से नहीं कम कोई ख़्वाब टूट जाना
सोने लगा हूँ तुझे ख्वाब में देखने कि हसरत ले कर
दुआ करना कोई जगा ना दे तेरे दीदार से पहले
तेरे ख्वाबों का भी है शौक़ तेरी यादों में भी है मज़ा
समझ नहीं आता सोकर तेरा दीदार करूँ या जाग कर तुम्हें याद
कल यही ख्वाब हकीकत में बदल जायेंगे
आज जो ख्वाब फकत ख्वाब नजर आते हैं
हर रात वही बहाना है मेरे दिल का
मैं सोता हूँ तो तेरा ख़्वाब आ जाता है
दुनिया है ख़्वाब हासिल-ए-दुनिया
ख़याल है इंसान ख़्वाब देख रहा है ख़याल में
दीदार तो एक ख़्वाब ठहरा बात भी बेशक़ न हो
बस एक तेरी ख़ैरियत का पैग़ाम मिल जाया करे
पूरा नहीं हुआ तो क्या हुआ
दिखाने वाले तेरा ख्वाब अच्छा था
आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम
उसको भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में
कोई मिला ही नहीं जिस को सौपते मोहसिन
हम अपने ख्वाब की खुशबु ख्याल का मौसम
अधूरे ख्वाब अधूरी मोहब्बते अधूरी ज़िन्दगी
चल चाँद तू ही खुश हो जा तू तो पूरा है न आज
ऐसा भी कभी हो मैं जिसे ख़्वाब में देखूँ
जागूँ तो वही ख़्वाब की ताबीर बताए
कोई बताएगा कैसे दफनाते हैं उनको
वो ख्वाब जो दिल में ही मर जाते हैं
रातों को जागते हैं इसी वास्ते कि ख़्वाब
देखेगा बन्द आँखें तो फिर लौट जायेगा
नहीं पसंद मोहब्बत में मिलावट मुझको
अगर वो मेरा है तो ख्वाब़ भी मेरे देखे
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम
कितना ख्वावों में तुझे और तलाशा जाए
वो बचपन की नींद अब ख्वाब हो गई
क्या उमर थी कि शाम हुई और सो गये
ख़्वाब शायरी
ज्यादा ख्वाब मत बुनिये
मिलेगा वही जो मंजूरे खुदा होगा
छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर
ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नही
यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
सुबह उठते ही तेरे जिस्म की खुशबू आई
शायद रात भर तूने मुझे ख्वाब में देखा है
खुदा का शुक्र है कि ख्वाब बना दिए
वरना तुम्हें देखने की तो हसरत दिल में ही रह जाती
तेरे ख्वाबों का भी है शौक़ तेरी यादों में भी है मज़ा
समझ नहीं आता सोकर तेरा दीदार करूँ या जाग कर तुम्हें याद
आज फिर तेरे दीदार की हसरत दिल ने रखी है
अगर वक्त मिले तो ख्वाबो में आ जाना
आवाज़ दे रहा था कोई मुझ को ख़्वाब में
लेकिन ख़बर नहीं कि बुलाया कहाँ गया
पलकें भी चमक जाती हैं सोते में हमारी
आँखो को अभी ख्वाब छुपानें नहीं आते
कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ता
अब ख्वाब अधूरे रहने पर
बहुत करीब से कुछ
सपनो को टूटते देखा है
जब निभाने ही नहीं थे
तो क्यों दिखाए थे इतने ख्वाब
अब ये शिकायत मुझे
तुमसे उम्र भर रहेगी
ईमानदारी से काम करने
वालो के ख्वाब भले ही
पुरे न हो पर
नींद जरूर पूरी होती है
किसी को नींद आती है
मगर ख्वाब से नफरत है
किसी को ख्वाब प्यारे है
मगर वो सो नहीं पाते
पागल आंखों वाली लड़की
इतने महेंगे ख़्वाब ना देखो थक जाओगी
कांच से नाज़ुक ख़्वाब तुम्हारे
टूट गए तो पछताओगी
ख़्वाब बुनते बुनते एक उम्र हो चली
अब उन ख्वाबो को सिरहाने रख सोने को जी चाहता है
ख़्वाब आँखों से गएनींद रातों से गई
वो गया तो ऐसे लगाज़िंदगी हाँथो से गई
आ जाते हैं वो भी रोज ख्वाबों में
जो कहते हैं हम तो कहीं जाते ही नहीं
कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गयी वो चीज़ क्या थी
शोर न कर धड़कन ज़रा थम जा कुछ पल के लिए
बड़ी मुश्किल से मेरी आँखों में उसका ख्वाब आया है
एक ही ख़्वाब ने सारी रात जगाया है
मैं ने हर करवट सोने की कोशिश की
जिस ख्वाब में हो जाए दीदारे नबी हासिल
ऐ इश्क़ कभी हमको भी वो नींद सुला दे
ता फिर न इंतज़ार में नींद आये उम्र भर
आने का अहद कर गये आये जो ख्वाब में
छु जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर
ये दुनिया तो खामखा कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं
इक ख़्वाब का ख़याल है दुनिया कहें जिसे है
इसमें इक तिलिस्म तमन्ना कहें जिसे
नींद मिल जाए कहीं तो भेजना जरा
बहोत सारे ख्वाब अधूरे है मेरे
सोने दो मुझे
तुम्हारे ख्वाब भी तो देखने हैं
मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़्याल
हैरत में हूँ ये किस का मुझे इन्तिज़ार है
लगता है इतना वक़्त मेरे डूबने में क्यों
अंदाज़ा मुझ को ख़्वाब की गहराई से हुआ
तुझसे मिलना तो अब ख्वाब सा लगता है
इसलिए मैंने तेरे इंतज़ार से मोहब्बत की है
रात क्या सोये कि बाक़ी उम्र की नींद उड़ गयी
ख़्वाब क्या देखा कि धड़का लग गया ताबीर का
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