Rooh Shayari

Rooh Shayari
Rooh Shayari

ख़ुद मेरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गई
आईना तो साफ़ है तस्वीर धुँदली हो गई
साँस लेता हूँ तो चुभती हैं बदन में हड्डियाँ
रूह भी शायद मेरी अब मुझ से बाग़ी हो गई


रूह को छू जाती हैं तेरी नज़र
इस कदर ना देखा करो हमें
तेरी नज़र में कुछ कशिश हैं
कहीं मोहब्बत ना हो जाए हमें


इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है
इश्क मेरी रुह, तो दोस्ती मेरी जान है
इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी
पर दोस्ती पर मेरा इश्क भी कुर्बान है


रूहानी इश्क़ होता है जब
जिस्म की प्यास नहीं होती
हवा का रंग नहीं होता
इश्क़ की जात नहीं होती


आज जिस्म मे जान है
तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो
कफन हटा-हटा कर देखेंगे लोग


Rooh Par Shayari


जिस्म संदल सांस खुशबू आंख बादल हो गयी
आपसे घुलकर हमारी रूह पागल हो गयी
एक कंकड़ प्यार से फेंका ये किसने झील में
आज फिर ढहरे हुए दरिया में हलचल हो गयी


ज़हर भी है एक दवा भी है इश्क़
तुझसे और तुझ तक मेरी रज़ा है इश्क़
जिस्म छू कर तो हर कोई एहसास पा जाए
रूह तक महसूस हो वो नशा है इश्क़



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हर साँस सजदा करती है
हर नज़र में इबादत होती है
वो रूह भी आसमानी होती है
जिस दिल में महोब्बत होती है


मेरी रूह का मिलन तेरी रूह से हो जाए
कुछ इस तरह मेरे लब आज तेरे लबों को छू जाए
मिटाकर हर फासला हम दोनों के दरमियां
क्यों ना आज तुम हमारे और हम तुम्हारे हो जाएं


जो मेरे दिल में है तेरे दिल
में भी वही आरज़ू चाहिए
मोहब्बत में मुझे सिर्फ
जिस्म नहीं तेरी रूह चाहिए


सुनो ना अरमानों को यूँ ही मचलने दो
आरजू मिलने की यूँ ही बरकरार रखना
यह जरूरी तो नही मुलाकत मुमकिंन हो
मगर रूह से इश्क़ को यूँ ही आबाद रखना


इश्क़ जिस्म से नही
रूह से किया जाता है
जिस्म तो एक लिबास है
ये हर जनम बदल जाता है


तमन्ना तेरे जिस्म की होती तो
छीन लेते दुनिया से
इश्क तेरी रूह से है
इसलिए खुदा से मांगते हैं तुझे


जब यार मेरा हो पास मेरे
मैं क्यूँ न हद से गुजर जाऊँ
जिस्म बना लूँ उसे मैं अपना
या रूह मैं उसकी बन जाऊँ


Rooh Shayari 2 Lines


रूह का रूह से वास्ता यू हो जाता है
नज़रे कह दे और दिल समझ जाता है


तेरे हर गम को अपनी रूह में उतार लूँ
ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ


तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी
मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी


मेरी रूह को छू लेने के लिए बस कुछ लफ्ज़ ही काफ़ी है
कह दो बस इतना ही की, तेरे साथ अभी जीना बाकी है


जिस्म से रूह तक जाए तो हकीकत है इश्क
और रूह से रूह तक जाए तो इबादत है इश्क़


कितना मुश्किल है जहाँ मे अच्छा दिलजानी होना
हुस्न के दौर में ईश्क का रूहानी होना


इश्क़ हूँ मुकमल हूँ मुझ में समा तो सही
रूह की प्यास हूँ ताउम्र की आस हूँ
सीने से लगा तो सही


रूह से जुड़े रिश्तों पर फरिश्तों के पहरे होतें है
कोशिश करलो तोड़ने की ये और भी गहरे होतें है


जब रूह में उतर जाता हैं बेपनाह इश्क का समंदर
लोग जिंदा तो होते हैं मगर किसी और के अंदर


करू क्यों फ़िक्र की, मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी
जहाँ होगी महफिल, मेरे यारो की मेरी रूह वहाँ मिलेगी


रूह की तड़प का इलाज हो तुम
और जिंदगी हमसे पूछो
सनम कितनी लाजवाब हो तुम


कुछ इस तरह से बसे हो तुम मेरे अहसासों में
जैसे धड़कन दिल में, मछली पानी में, रूह जिस्म में


ना चाहतों का ना ही ये दौलतों का रिश्ता है
ये तेरा मेरा तो बस रूह का रिश्ता है


फूल शाख से न तोड़िये
खुशबुओं से प्यार कीजिये


रूह की आड़ में जिस्म तक नोच खाते हैं लोग
प्यार के नाम पर हवस की आग बुझाते हैं लोग


वजूद की तलब ना कर
हक है तेरा रूह तक सफर तो कर


एहसास करा देती है रूह, जिनकी बातें नहीं होती
इश्क वो भी करते है जिनकी, मुलाकाते नहीं होती


एक एहसास तेरा,मुकम्मल जिंदगी मेरी
एक खुशी तेरी,सौ दुआ-ए-रूह मेरी


Rooh Shayari In Hindi


प्यास इतनी है मेरी रूह की गहराई में
अश्क गिरता है तो दामन को जला देता है


किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो
रूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते नहीं आते


हुस्न की मल्लिका हो या साँवली सी सूरत
इश्क अगर रूह से हो तो हर चेहरा कमाल लगता है


तेरी रूह में सन्नाटा है और मेरी आवाज़ में चुप्पी
तू अपने अंदाज़ में चुप, मैं अपने अंदाज़ में चुप


इश्क वो खेल नहीं जो छोटे दिल वाले खेलें
रूह तक काँप जाती है सदमे सहते-सहते


जिस्म तो बहुत संवार चुके
रूह का सिंगार कीजिये


रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
क्या जनाज़े पर मेरे ख़त का जवाब आने को है


लाखो हसीन है इस दुनिया में तेरी तरह
क्या करे हमें तो तेरी रूह से प्यार है


कोइ मेरी रूह को जला कर यूँ चला गया है
देखो ना धुआँ धुआँ सी हो गइ है मेरी जिंदगी


जिस्म से होने वाली मोहब्बत का
इजहार आसान होता है
रूह से हुई मोहब्बत समझने में
जिन्दगी गुजर जाती है


यकीनन तुमने रूह तक दस्तक दी होगी
सुना है दिल तक दस्तक देने वाले दर्द बहुत देते हैं


रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता है
जीना मरना खोना पाना चलता रहता है


अल्हड़ सी ओस की बूँदे लबो को मेरे भिगो गई
तुम आओ तो मेरे रूह की प्यास बुझे


दिल से खेलने की फितरत
खुदा ने भी क्या खूब रखी
इश्क़ को रूह तक रखा
मोहब्बत को आँखें नहीं बख्शी


मौत की शह दे कर तुमने समझा अब तो मात हुई
मैंने जिस्म का ख़ोल उतार क़े सौंप दिया,और रूह बचा ली


हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए, "फ़राज़"
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था


ख़ुशबू-सी बेटियाँ जब गले लगती हैं
तो रूह तक महक उठती हैं


चेहरा ढूंढोगे तो मुस्कान ही मिलेगी
वीरानियां गर देखनी है रूह की तलाशी ले लो


कभी इश्क़ करना तो बारिश की बूंदों सा करना
जो तन पे गिरे और अंदर तलक रूह भीग जाये


जिस्म की दरारों से रूह नज़र आने लगी है
बहुत अंदर तक तोड़ गया है इश्क़ तुम्हारा


रूह मेरी इश्क़ तेरा जान मेरी जिस्म तेरा
जन्नत मिले पहलू में तेरे बाहे तेरी और सुकून मेरा


रूह की तड़प का इलाज़ हो तुम
कौन कहता है, मोहब्बत लाइलाज बीमारी है


ताल्लुक हो तो रूह से रूह का हो
दिल तो अकसर एक दूसरे से भर जाया करते हैं


मिरे महबूब इतराते फिरते थे जवानी पे अपनी
मिरे बिना अपना वजूद जो देखा तो, रूह कांप गई


Rooh Status


बाद मरने के भी अरमान यही है ऐ दोस्त
रूह मेरी तिरे आग़ोश-ए-मोहब्बत में रहे


रूह के रिश्तों की यही खूबी है
महसूस हो ही जाती है कुछ बातें अनकही


प्यार दो जिस्म का नहीं रूहों का मिलन हैं


रूह का सुकून है इश्क़
बशर्ते सही इंसान से हो जाए


यूँ तो होते है रूबरू चेहरे बहोत हर रोज़ मुझसे
लेकिन रुह को सुकून जिससे मिले वो चेहरा तुम्हारा है


रूहानी इश्क़ होता है जब
जिस्म की प्यास नहीं होती


है रूह को समझना भी जरुरी
महज हाथो को थामना साथ नही होता


तेरे चेहरे के हजारों चाहने वाले होगें
तेरी रूह का तो मैं बस अकेला ही दीवाना हूं


अपने इमान की हिफाजत खुद से हैं मुकमल
रूह के मुआयने के लिए कोई आईना नहीं होता


उसने मुझसे पूछा मोहब्बत कश्मकश क्या है
मेने कहा बाहों में समंदर और रूह प्यासी


रूह का सकून है इश्क
शर्त है.. सही इंसान से हो


बदन से रूह जाती है तो बिछती है सफ-ए-मातम
मगर किरदार मर जाये तो क्यूँ मातम नहीं होता


लिपटे रहते हैं तेरे अहसास, मेरी रूह सें हरदम
हरदम, खुद में तुम्हे महसूस करता हूँ मैं


मुझे तलाश है एक रूह की जो मुझे दिल से प्यार करे
वरना जिस्म तो पैसो से भी मिल जाया करते है


मैं ख्वाहिश बन जाऊँ, और तू रूह की तलब
बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मुहब्बत बनकर


रूह तरसती है तेरी खुशबू के लिए
तुम कहीं और महको तो बुरा लगता है


बेनाम आरजू की वजह ना पूछिए
कोई अजनबी था रूह का दर्द बन गया


मेरी रूह गुलाम हो गई है, तेरे इश्क़ में शायद
वरना यूँ छटपटाना, मेरी आदत तो ना थी


मेरी रूह में समायी है तेरी खुशबू
लोग कहते हैं तेरा इत्र लाजवाब है