Kaash Shayari
काश फिर मिलने की वजह मिल जाए
साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें
क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा हुआ कल मिल जाए
काश आँसुओं के साथ यादें बह जाती
काश ये ख़ामोशी सब कुछ कह जाती
काश किस्मत तुमने लिखी होती
तो शायद मेरी किस्मत में प्यार की कमी न रह जाती
Kash Main Emotional Shayari
काश मैं पानी होता और तू प्यास होती
न मैं खफा होता और न तू उदास होती
जब भी तुम मेरी निगाहों से दूर होते
मैं तेरा नाम लेता और तू मेरे पास होती
Kaash Tum Samajh Pati Shayari
काश तुम समझ पाती मेरे अनकहे अल्फ़ाज़ों को
तो ये एहसास स्याही और काग़ज़ के मोहताज ना होते
काश यादों का मतलब वो समझते
काश ख्वाबों का मतलब वो समझते
नजर मिलती है हज़ार नजरो से
काश हमारी नजर का मतलब वो समझते
काश हमे भी कोई समझने वाला होता
तो आज हम इतने नासमझ न होते
काश कोई इश्क का जाम पिलाने वाला होता
तो आज हम भी इस शराब के दीवाने न होते
यूँ ही नहीं रोज़ किसी का इंतज़ार होता है
यूँ ही नहीं रोज़ ये दिल बेक़रार होता है
काश के कोई समझ पाता कि
चुप रहने वालो को भी किसी से प्यार होता है
काश आपकी सूरत इतनी प्यारी न होती
काश आपसे मुलाकात हमारी न होती
सपनो में ही देख लेते आपको अगर
तो आपसे मिलने कि इतनी बेकरारी न होती
काश तुम मुझे एक खत लिख देते
मुझमे क्या-क्या थी कमी यह तो लिख देते
मेरे दिल से तुमने नफरत क्यूँ की
नफरत की ही मुझे कोई वजह तो लिख देते
काश ऐसा हो कि तुमको तुम से चुरा लूं
वक्त को रोक कर वक्त से एक दिन चुरा लूं
तुम पास हो तो इस रात से एक रात चुरा लूं
तुम साथ हो तो इस जहां से यह जहां चुरा लो
Dil Kash Shayari
काश कि दिल पर अपना अख्तियार होता
ना नफरत होती ना प्यार होता
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता
बात करना न सही देखना तो नसीब होता
काश ये दिल शीशे का बना होता
चोट लगती तो बेशक ये फ़ना होता
पर सुनते जब वो आवाज इसके टूटने की
तब उन्हें भी अपने गुनाह का एहसास होता
काश वो समझते इस दिल की तड़प को
तोह हमें यु रुसवा ना किया जाता
यें बेरुखी भी उनकी मंजुर थी हमें
एक बार बस हमें समझ लिया होता
काश पर शायरी
आँसू आ जाते हैं रोने से पहले
ख्वाब टूट जाते हैं सोने से पहले
लोग कहते हैं मोहब्बत गुनाह है
काश कोई रोक लेता इसे होने से पहले
अपनी खुशियाँ लुटाकर उसपर कुर्बान हो जाऊ
काश कुछ दिन उसके शहर का मेहमान हो जाऊ
वो अपना नायाब दिल मुझको देदे और फिर
वापस मांगे मैं मुकर जाऊ और बेईमान हो जाऊ
उतरा है मेरे दिल में कोई चाँद नगर से
अब खौफ ना कोई अंधेरों के सफ़र में
वो बात है तुझ में कोई तुझ सा नहीं है
काश कोई देखे तुझे मेरी नज़र से
काश उन्हें चाहने का अरमान नही होता
मैं होश में होकर भी अंजान नही होता
ये प्यार ना होता, किसी पत्थर दिल से
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता
दिल-ए-गुमराह को काश ये मालूम होता
प्यार तब तक हसीन है जब तक नहीं होता
काश यह दिल अपने बस में होता
ना किसी की याद आती ना किसी से प्यार होता
Kash Shayari In Hindi
काश आदमी के गिरने की हद भी तय होती
तो बेटियाँ इस मुल्क की शायद महफूज़ होतीं
काश दिल की अबाज़ में इतना असर हो जाए
हम याद करे उनको और उन्हें खबर हो जाए
काश कोई मिले मुझे इस तरह कि फिर जुद़ा ना हो
जो समझे मेरे मिजाज़ को और कभी मुझसे खफ़ा ना हो
काश ऐसी भी हवा चले
कौन किसका है पता तो चले
ऊपर वाले ने कितने लोगो की तक़दीर सवारी है
काश वो एक बार मुझे भी कह दे की आज तेरी बारी है
ऐ काश कहीं कुदरत का यह निजाम हुआ करे
तुझे देखने के सिवा न मुझे कोई काम हुआ करे
काश की ज़िन्दगी में किसी के काश न रहे
खुश हो सब ज़िंदगी से नई तलाश न रहे
काश आ जाए वो मुझे जान से गुजरते देख
ख्वाहिश थी कभी मुझे बिखरते देखें
काश एक ख्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर
तुम आकर गले लगा लो मुझे मेरी इजाजत के बगैर
I Wish Love Quotes
काश आप मेरी आँखों का आँसू बन जाएँ
और मैं रोना ही छोड़ दूँ आपको खोने के डर से
काश इस गुमराह दिल को ये मालूम होता कि
मोहब्बत उस वक्त तक ही दिलचस्प होती है
जब तक नहीं होती है
उसकी हसरत को मेरे दिल में लिखने वाले
काश उसे भी मेरे नसीब में लिखा होता
काश कि तुम समझ पाओ मेरी चाहत की इंतिहा को
हैरान रह जाओगे तुम अपनी खुश नसीबी पर
वो दुआएं काश मैने दीवारों से मांगी होती
ऐ खुदा सुना है कि उनके तो कान होते है
काश निगाहें फेर लेने से ताल्लुक भी खत्म हो पाते
काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मोहब्बत की ठंड
और तु तड़प के मांगे मुझे कंबल की तरह
लौटा देती ज़िन्दगी एक दिन नाराज़ होकर
काश मेरा बचपन भी कोई अवार्ड होता
काश कि वो लौट के आयें मुझसे ये कहने
कि तुम कौन होते हो मुझसे बिछड़ने वाले
काश एक सर्जिकल स्ट्राइक मेरे दिल की भी हो बिन बताए ?
तुझे भी तो पता चले तेरी चाहत के कितने कैंप लगा रखे हैं मैंने
काश कभी मेरी कमी ने
तुझे भी उदास किया होता
बहुत असर रखता है हर लफ्ज़ उसकी जुबान का
ए काश के वो मुझसे मिलने की दुआ मांगे
खवाहिशों का आदी दिल काश यह समझ सकता
साँस टूट जाती है आस टूट जाने से
काश कोई अपना हो तो आईने जैसा हो
जो हँसे भी साथ और रोए भी साथ
काश हमें बेपर्भा रहना सिखाए कोई
हम थक गए हैं परवाह करते-करते
नहीं बस्ती किसी और की सूरत अब इन आंखों में
काश कि हमने तुझे इतने गौर से ना देखा होता
काश वो उस दिन नक़ाब में होती तो
आज हम उसकी क़ैद में ना होते
काश दर्द तेरे भी पैर होते
कहीं थक के रुकते तो सही
काश में बन जाऊ वो झूला
जिस पर तू बैठकर खिलखिला कर हँसे
सब मतलब की बात समझते हैं
काश कोई बात का मतलब समझता
काश मैं ऐसी जरूरत बन जाऊँ
जिसकी तुम्हे तलब रहे सारी जिंदगी
बदलती रहती हैं हकीकतों की बारिश वक्त के साथ
काश उम्मीदों के घरौंदे समझ के पत्थरों से बनातें
काश कोई लड़की मुझे प्यार करती
काश कि तुम कोई दिसम्बर होते
साल के आखिर मे आ तो जाते
काश उनको कभी फुर्सत में यह ख्याल आए
कि कोई याद करता है उन्हें जिंदगी समझकर
काश तुम मेले में मिलने वाले उन खिलौनों में से होते
ऊँगली रख कर बस कहने भर की देर थी पापा ये चाहिए
आज धुंध बहुत है
काश वो टकरा जाएँ हमसे
काश तू भी बन जाए तेरी यादों की तरह
ना वक़्त देखे ना बहाना बस चली आए
मैं हँसता हूँ तो बस अपने ग़म छिपाने के लिए
और लोग देख के कहते है काश हम भी इसके जैसे होते
काश फुरसत में उन्हें भी ये ख्याल आ जाये
कि कोई याद करता है उन्हें ज़िन्दगी समझकर
आँखें भिगोने लगी है अब तेरी बातें
काश तुम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता
काश की लम्हे भर के लिये रुक जाये ज़मी की गर्दिशे
और कोई आवाज ना हो तेरी धड़कने के सिवा
काश वो आ जायें और देख कर कहें मुझसे
हम मर गये हैं क्या ? जो इतने उदास रहते हो
चल दिया वो सब को तन्हा छोड़ कर
काश वो दुनिया में रहता देर तक
चटख-से रंग, शोख़ ख़ुशबू, मुख़्तसर सांसें
काश फूलों की तरह अपनी ज़िन्दगी होती
काश की कोई टुटा हुआ तारा ही दिख जाये
दुआ माँगनी है मुझे उस बेवफा की सलामती की
काश कोई फिर छोड़कर चला जाये मोहब्बत करके
सुना है दर्द ही दर्द को काटता है
काश तू मुझसे बस इतनी सी मोहब्बत निभा दे
जब मै रुठु तो तू मुझे मना ले
जिन्दगी में बस यही एक मलाल है कि
काश तुम समझ सकती मुझे और मेरी बातों को
गज़ल के रूप में ढ़ल जाऊँ काश मैं भी
उदास लम्हों में शायद वो गुनगुनाऐं मुझे
काश तू भी बन जाए तेरी यादों कि तरह
न वक़्त देखे न बहाना बस चली आये
सरक गया जब उसके रुख से पर्दा अचानक
फ़रिश्ते भी कहने लगे काश हम भी इंसां होते
काश आंसू के साथ यादें भी बह जाती
तो एक दिन तसल्ली से बैठ कर रो लेते
वो रोज़ देखता है डूबते सूरज को इस तरह
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता
काश कि तुम समझ सकते मोहब्बत के उसूलों को
किसी के जीने की वजह बनने के बाद
उन्हें तन्हा छोड़ा नहीं करते
काश मोहब्बत मे भी चूनाव होते
गजब के भाषण देते तूझे पाने के लिये
वो रोज देखता है डूबते सूरज को इस तरह
काश मैं भी किसी शाम का मंजर होता
काश कि तुझे वक़्त के सेहरा में लगे प्यास
और तू तड़प के मांगे मुझे पानी की तरह
काश एक बार आवाज तो दी होती तुमने
हम तो वहाँ से भी लौट आते जहाँ से कोई नहीं आता
इक ये कोशिश कि कोई देख ना ले दिल के जख्म
इक ख्वाहिश ये कि काश कोई देखने वाला होता
काश तू समझ सकती मोहब्बत के उसूलो को
किसी की साँसों में समाकर उसे तन्हा नहीं करते
काश कभी तुम समझ पाओ इस प्यार के जुनून को
हैरान रह जाओगे मेरे दिल में अपनी कदर देख कर
कितने आँसू बहा दिए हैं इस चार दिन की मोहब्बत में
काश सजदे में बहाते तो आज गुनाहों से पाक होते
बेबस सी आँखे ढूंढ रही है तुमको
काश की इस दुनिया में तुम ही तुम होते
थाम लो हाथ उसका जो आपसे प्यार करे
इससे पहले के आपके होठों पर काश रह जाए
काश तेरी जुदाई की कोई सरहद होती
पता तो रहता अभी कितना सफर और तय करना है
काश वह भी आकर हमसे कहते हैं मैं भी तनहा हूं
तेरे बिन, तेरी तरह, तेरी कसम, तेरे लिए
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