Funny Kambal Shayari


हे भगवान...
ऐसी ठंड में थोड़ी तो मेहर बक्स,
कम्बल double कर या
कम्बल के अन्दर double कर...


Funny Thand Kambal Shayari

जी तो रहा हूँ,
पर ज़िन्दगी झंड लग रही है
दो कम्बल ओढ़ के सोया हूँ
फिर भी ठंड लग रही है


एक रात आएगी ऐसी, ना कोई अफ़साना सुनेंगे
बुलाए कंबल में तो आ जाना, ना कोई बहाना सुनेंगे

सुना है जो कंबल ससुराल से मिलता है
उसमे ठंड बिल्कुल नही लगती

ठंड की लहर चल रही है
पंछियों की टोली अपनी अपनी रजाई में
मैं भी चला अपनी सपनो की दुनिया में
कंबल और तकिए बैठे है इंतज़ार में

Romantic Love Kamabal Shayari


अरे अब तुम हमें ही ओढ़ लो आज
सब कुछ कम्बल के बस की बात नहीं

Romantic Love Kamabal Shayari

हम दोनो और हमारा
एक कंबल..😍


मै दिसंबर की सर्दी
तुम कंबल सी गर्माहट हो
मै काली रात का सन्नाटा
तुम कदमो की आहट हो
मै खंजर सा घायल
तुम मरहम सी राहत हो
मै टूटा गिरा पुराना खंडहर
तुम ताजमहल सी सबकी चाहत हो

तेरी यादें सर्दी का मौसम हो गई हैं
अब तुम भी कम्बल बनके आ जाओ

आज भी यह मौत जिंदगी सी लगती है
मौत देने वाले जो तुम हो..
आज भी हर दर्द मरहम सा लगता है
इस दर्द की वजह जो तुम हो..
आज भी यह कफन कंबल सा लगता है
उसे ओढ़ाने वाले जो तुम हो..
और आज भी यह कब्र घर सा लगता है
इसे सजाने वाले जो तुम हो..

Sad Kambal Status


इन कंबलों में न जाने कितनी राते
तुझसे चुपके बात करने में गुजर गई
अब इन्ही कंबलों में छुप के रोना होता है

ना जाने किन रैन बसेरो की तलाश है
इस चाँद को
रात भर बिना कंबल के तन्हा भटकता है
आसमान मे

सुना है वो सर्दियों के लिए
बेघरों को कंबल बाँट फिर रहे हैं
ये भी नहीं सोचते के सैकड़ों दिलों को
उन्होंने बेघर कर रखा हैं

Blanket Quotes In Hindi


मोहब्बत भी तेरी वो बहुत अजीब थी
जो उस रात बस एक कंबल ने देखी थी

मेरे दर्द की गहराई सिर्फ
मेरा तकिया और कंबल ही जानता है

इतने आंसुओं के रेशम को बुनकर
एक मुस्कुराहट का कम्बल बनाया है हमने
और वो पूछते है कि हमे ठंड क्यों नही लगती?

कम्बल पसंद का न होने पर
वो अपने माँ-बाप से लड़ता रहा और
दूसरी तरफ वो बेचारा
कम्बल न होने की वजह से
ठण्ड में सारी रात अकड़ता रहा

सर्द रातों को गर्म लिख दिया करो
कभी कभार
बिन कंबल लिए सो जाऐंगे तुम्हारी खातिर
कभी कभार

Thand Shayari


ठंड में सब कंबल ओढ़ते है
गर्मी में बेवफाओ की तरह
उसे अकेला छोड़ते है

कई ख्वाब गुमनाम ही सो गए
बिना कम्बल ओढ़े..

रात सर्दी में, याद तुम्हारी कंबल थी
सारे लोग अधूरे थे, एक तस्वीर मुकम्मल थी

काश तुझे सर्दी के मौसम मे लगे मुहब्बत की ठंड
और तू तड़प कर माँगे मुझे कम्बल की तरह...