बस्ती शायरी


Nadan Hasti Basti Shayari

संभल कर चल नादान ये इंसानों की बस्ती हैं
ये तो रब को भी आजमा लेते हैं तेरी क्या हस्ती हैं


Yaad Dariya Tanha Kashti Zameen Falak Basti Shayari

तुम्हारी याद का दरिया और तन्हा दिल की कश्ती
दूर फलक तक बस यादें, न कोई जमीन, न बस्ती


Dil Tuta Makan Sad Love Basti Status

आशिकों की बस्ती में ये टूटा मकान किसका हैं
कहीं पे दिल, कहीं पे जान ये बिखरा सामान किसका है


तुम भी झूमो मस्ती में हम भी झूमे मस्ती में
शोर है आज बस्ती में झूम रहे है सब मस्ती में


Basti Shayari


पत्थर सा दिल कहाँ से लाऊ
कंक्रीट की बस्ती में निभ पाऊं


हादसों के जद आके क्या मुस्कुराना छोड़ देंगे
एक बस्ती बिखर गयी तो क्या बस्ती बसाना छोड़ देंगे


घर गुलज़ार सूने शहर बस्ती बस्ती में कैद हर हस्ती हो गई
आज फिर ज़िन्दगी महँगी और दौलत सस्ती हो गई


Basti Status


नहीं बस्ती किसी और की सूरत अब इन आँखों में
काश की हमने तुझे इतने गौर से ना देखा होता


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उस दिल की बस्ती में आज भी अजीब सन्नाटा है
जिस में कभी तेरी हर बात पर महफिल सजा करती थी


हम तो रह के दिल्ली में ढूँडते हैं दिल्ली को
पूछिए रविश किस से क्या यही वो बस्ती है


इंसानों की बस्ती है
इस जंगल में क्यूँ ठहरो


Basti Sad Shayari


उजाड़ दी तमाम बस्ती उसने गांवों की
वो अब ऊंचे महलों में सुकून ढूंढा करता है


Thikana Basti Sad Shayari

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा
जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है


तेरे कूचे में जो आया है ग़ुलामों की तरह
अपनी बस्ती का सिकंदर भी तो हो सकता है

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जिसे वो शहर कहते हैं
जहाँ लोग मिलते कम झाँकते ज्यादा हैं

बस्ती जंगल सी लगे मैँ जाऊँ किस ओर
घात लगाये राह मेँ बैठे आदमखोर

वो हो जायेंगे खुश कुछ पतगें लूट कर ही
ऐ हवा तु अपना रुख गरीबों की बस्ती तरफ ही रखना

सामान बांधो अब चलो ग़ालिब
अब इस मुहब्बत की बस्ती में वो बसती नहीं

इस बस्ती में कौन हमारे आँसू पोंछेगा
जो मिलता है उसका दामन भीगा लगता है

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे
वो भी अलग हट गयी आधियों को इशारा करके

गरीब की बस्ती में ज़रा जा कर तो देखो दोस्तों
वहां बच्चे भुखे तो मिलेंगे पर उदास नही

अब गाँव को नहीं जा पाता हूं राॅयल
कि मेरी बस्ती में अब शहर आ गया हैं

वो बस्ती भी इक बस्ती थी ये बस्ती भी इक बस्ती है
वहाँ टूट के दिल जुड़ जाते थे यहाँ कोई ख़याल नहीं होता

कहाँ ढूंढेंगे इस बस्ती में मेरे कातिल को
एक काम कीजिए
ये इल्जाम भी मेरे ही सर डाल दीजिए

चोरों की बस्ती में रहते हैं हम
और तिजोरी भी खुली छोड़ रखी है

शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना
गमों की महफिल भी कमाल जमती है

खुदगर्जो की बस्ती में एहसान भी गुनाह है
जिसे तैरना सिखाओ वही डुबाने को तैयार रहता है

हीरों की बस्ती में हमने कांच ही कांच बटोरे हैं
कितने लिखे फसाने फिर भी सारे कागज़ कोरे है

ये चंद लोग जो बस्ती में सबसे अच्छे हैं
उन्हीं का हाथ है मुझको बुरा बनाने में