बेखुदी शायरी
तेरी बेखुदी में लाखो पैगाम लिखते हैतेरे गम में जो गुजरी बात तमाम लिखते हैंअब तो पागल हो गई वो कलमजिस से हम तेरा नाम लिखते है
आपकी याद आती रही रात भरबेखुदी में हंसाती रही रात भरचांद मेरे संग सफर में ही रहाचांदनी गुनगुनाती रही रात भर
Bekhudi Ki Zindagi Shayari In Hindi
बेखुदी कि जिन्दगी जिया नही करतेजाम दुसरो का छिन कर पिया नही करतेउनको मुहब्बत है तो आ के इजहार करेपीछा हम भी किसी का किया नही करते
बेखुदी में बस एक इरादा कर लियाइस दिल की चाहत को हद से ज्यादा कर लियाजानते थे वो इसे निभा न सकेंगे परउन्होंने मजाक और हमने वादा कर लिया
Bekhudi Shayari
होश वालों को ख़बर क्या बेख़ुदी क्या चीज़ हैइश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
बेखुदी वो नहीं कि हम तेरे तसव्वुर में खो जाएंयकीनन बेखुदी वो है कि तुझको भूल ना पाएं
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क़ोई ख्वाब मुस्कुराये सरे शाम बेखुदी मेंमेरे लब पे आ गया था तेरा नाम बेखुदी में
कई ख़्वाब मुस्कुरायें आज फिर सरेआम बेखुदी मेंमेरे लबों पे आ गया जान तेरा नाम बेखुदी में
कई ख़्वाब मुस्कुरायें सरेआम बेखुदी मेंमेरे लबों पे आ गया जान तेरा नाम बेखुदी में
शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करोबेख़ुदी बढ़ती चली है राज़ की बातें करो
Bekhudi Status
सीधी बात शोहरत की बेख़ुदी का मज़ा आप जानिएइज़्ज़त की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछिए
बेखुदी जिंदगी हर पल लाजवाब की तलाश हैशायरी की खुशनुमा बेखुदी में आये अजनबी दोस्त
दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगीअख़्तर वो बेख़ुदी के ज़माने किधर गए
गई बहार मगर अपनी बेख़ुदी है वहीसमझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है
जिस में हो याद भी तिरी शामिलहाए उस बेख़ुदी को क्या कहिए
आँखों में तेरे इश्क की मदहोशियाँ लिएहम तुझ को सोचते है बड़ी बेखुदी के साथ
कुछ ऐसी है यार तेरे इश्क़ की बेखुदीइक तुझे ही लिखने को हर्फ मचल यूँ जाते है
हमारी बेखुदी का हाल वो पूछे अगर तो कहनाहोश बस इतना है की तुमको याद करते है
बेख़ुदी ले गई कहाँ हम कोदेर से इंतिज़ार है अपना
बेख़ुदी बे-सबब नहीं ग़ालिबकुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है
ऐ बे-ख़ुदी-ए-दिल मुझे ये भी ख़बर नहींकिस दिन बहार आई मैं दीवाना कब हुआ
मोहब्बत नेक-ओ-बद को सोचने दे ग़ैर-मुमकिन हैबढ़ी जब बेख़ुदी फिर कौन डरता है गुनाहों से
खुलते बंद होते लबों की ये अनकहीमुझसे कह रही हैं के बढ़ने दे बेखुदी
मय से ग़रज़ नशात है किस रू-सियाह कोइक-गूना बेख़ुदी मुझे दिन रात चाहिए
मुझसे नहीं कटती अब ये उदास रातेंबेखुदी मे कल सूरज से कहूँगामुझे साथ लेकर डूबे
बे-ख़ुदी में हम तो तेरा दर समझ कर झुक गएअब ख़ुदा मालूम काबा था कि वो बुत-ख़ाना था
बेख़ुदी में ले लिया बोसा ख़ता कीजे मुआफ़ये दिल-ए-बेताब की सारी ख़ता थी मैं न था
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