घटा शायरी

घटा शायरी | Ghata Shayari

तुझको देखेंगे सितारे तो दुआ मांगेंगे
और प्यासे तेरी जुल्फों से घटा मांगेंगे
अपने कांधे से दुपट्टा ना सरकने देना
वर्ना बूढ़े भी जवानी की दुआ मांगेंगे


तेरा उलझा हुआ दामन मेरी अंजुमन तो नहीं
जो मेरे दिल मे है शायद तेरी धड़कन तो नहीं
यूँ ही अचानक मुझे बरसात की याद क्यूँ आई
जो घटा है तेरी आँखों मे वो सावन तो नहीं

कैफ़ परदेस में मत याद करो अपना मकाँ
अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा

मोहब्बत का है दरिया तू मैं तेरी रवानी हूँ
घटा घनघोर है तू तो मै तेरा ही पानी हूँ
कैसे लोग जीते हैं नफरत मे तेरे होते
मेरा तू दीवाना है तेरी मैं दिवानी हूँ

Kali Ghata Shayari


जब भी चाँद पर काली घटा छा जाती है
चाँदनी भी यह देख फिर शर्मा जाती है
लाख छिपाएं हम दुनिया से यह मगर
जब भी होते हैं अकेले तेरी याद आ जाती है

Kali Ghata Shayari

तुम्हारी लहराती ज़ुल्फ़ों ने
सर्जिकल स्ट्राइक कर मन को घायल कर दिया
गोरे रंग में काली घटाओं ने दर्दे ज़िगर को
हमेशा के लिए तेरा क़ायल कर दिया


गुलाब से गुलाब का रंग तेरे गालों पे आया
तेरे नैनों ने काली घटा का काजल लगाया
जवानी जो तुम पर चढ़ी तो
नशा मेरी आँखों में आया

Ghata Shayari


तुझे देखेंगे सितारे तो ज़िया मांगेंगे
प्यासे तेरी जुल्फों से घटा मांगेंगे

अब कौन घटाओं को घुमड़ने से रोक पायेगा
ज़ुल्फ़ जो खुल गयी तेरी लगता है सावन आयेगा

Ghata Shayari

तुम्हारे चेहरे को कमल कहू तो गुस्ताखी होगी
तुम्हारी जुल्फों को घटा कहू तो रुसवाई होगी


जुल्फ देखी है या नजरों ने घटा देखी है
लुट गया जिसने भी तेरी अदा देखी है

या दिले दीवाना रुत जागी वस्ले यार की
झुकी हुई ज़ुल्फ़ में छाई है घटा प्यार की

तपिश से बच कर घटाओं में बैठ जाते हैं
गए हुए की सदाओं में बैठ जाते हैं

तेरे रूखसार पर बिखरी जुल्फों की घटा
मैं क्या कहूँ ऐ चाँद, हाय! तेरी हर अदा

तूम तो समंदर है मोह्हबत का
कोई तुम्हें दरिया कहे तो ना इंसानी होगी

तेरे नैनों ने काली घटा का काजल लगाया
फ़िज़ाओं का मौसम जाने पर

सूरज का यूँ अफ़क़ पे गुरूब हो जाना तो कुछ तय सा था
पर फिर ये तेरी जुल्फों की काली घटाएं क़यामत ले आई

ये आँखे, ये जुल्फे, ये हौठ, ये अदा, ये नजर, ये काली घटा
लगता है "सावन" आने वाला है मोहब्बत बरसा देना तुम

बहारों का मौसम आया गुलाब से गुलाब का रंग
जवानी जो तुम पर चढ़ी तो नशा मेरी आँखों में आया

बरसता, भीगता मौसम है कमज़ोरी मेरी लेकिन
मैं ये रिमझिम, घटा, बादल तुम्हारे नाम करता हूँ

अपने चेहरे को अब हमसे न छिपाना
मुद्दतों बाद इस मरीज ने दवा देखी है

जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की
उस वक़्त अपने दिल की तरफ़ मुस्कुरा के देख

एक दिल है कि जो प्यासा है समंदर की तरह
दो निगाहें जो घटाओं के सिवा कुछ भी नहीं

ज़ुल्फ़ घटा बन कर रह जाए आँख कँवल हो जाए शायद
उन को पल भर सोचे और ग़ज़ल हो जाए